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भग तीन... १३ उ. ५ अणगार की चैक्रिय शक्ति
___१ उत्तर-गोयमा ! अट्ट कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, एवं बंधट्टिइउद्देमो भाणियन्बो णिरवमेसो जहा पण्णवणाए ।
* सेवं भंते ! मेवं भंते ! त्ति के
॥ तरसमसए अट्टमो उद्देसो समत्तो । भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! कर्म-प्रकृतियाँ कितनी कही गई हैं ?
१ उत्तर-हे गौतम ! कर्म-प्रकृतियां आठ कही गई है । यहाँ प्रज्ञापना सूत्र के २३ वें पद के द्वितीय 'बन्ध-स्थिति' उद्देशक का सम्पूर्ण कथन करना चाहिये।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है-कह कर यावत् गौतमस्वामी विचरते हैं।
॥ तेरहवें शतक का आठवाँ उद्देशक सम्पूर्ण ॥
शतक १३ उद्देशक अनगार की वैक्रिय-शक्ति
१-रायगिहे जाव एवं क्यासी-(प्रश्न) से जहाणामए केह पुरिसे केयाघडियं गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भावियप्पा केयाघडियाकिचहत्थगएणं अप्पाणेणं उद्धं वेहासं उप्पएज्जा ?
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