________________
२२५६ भगवती सूत्र - १३ ७ मृत्यु के विविध प्रकार
१ आवीचिक मरण, २ अवधि मरण, ३ आत्यन्तिक मरण, ४ बाल मरण और
५
पण्डित मरण |
१९ प्रश्न - हे भगवन् ! आवीचिकमरण कितने प्रकार का कहा गया ? १९ उत्तर - हे गौतम ! आवीचिकमरण पाँच प्रकार का कहा गया । यथा-१ द्रव्यावीचिकमरण, २ क्षेत्रावीचिकमरण, ३ कालावीचिकमरण, ४ भवावीचिकमरण और ५ भावावीचिकमरण ।
२० प्रश्न - हे भगवन् ! द्रव्यावीचिकमरण कितने प्रकार का कहा गया ? २० उत्तर - हे गौतम ! चार प्रकार का कहा गया है । यथा-१ नैरयिक द्रव्यावीचिकमरण, २ तिर्यञ्चयोनिक द्रव्यावीचिकभरण, ३ मनुष्य द्रव्यावोचिकमरण और ४ देव द्रव्यावीचिकमरण ।
प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक द्रव्यावोचिकमरण को नैरयिकद्रव्यावीचिकमरण क्यों कहते हैं
उत्तर - हे गौतम ! नैरयिक द्रव्य (जीव ) पने वर्तते हुए नरधिक जीद, जिन द्रव्यों को नैरयिक आयुष्यपने स्पर्श रूप से ग्रहण किये हैं, बन्धन रूप से बांधे हैं, प्रदेश रूप से पुष्ट किये हैं, विशिष्ट रस युक्त किये हैं, स्थिति रूप से स्थापित किये हैं, जीव प्रदेशों में प्रविष्ट किये हैं, अभिनिविष्ट अर्थात् अत्यन्त गाढ़ रूप से प्रविष्ट किये हैं और अभिसमन्वागत अर्थात् उदयाभिमुख किये है, उन द्रव्यों को आवीचिकमरण से निरन्तर प्रति सनय छोड़ते हैं । इस कारण हे गौतम ! नैरयिक द्रव्यावीचिकमरण को नैरयिक द्रव्यावीचिकमरण कहते हैं । इसी प्रकार ( तिर्यञ्चयोनिक द्रव्यावीचिकमरण, मनुष्य द्रव्यावीचिकमरण) यावत् देव द्रव्यावीचिकमरण जानना चाहिये ।
२१ प्रश्न - हे भगवन् ! क्षेत्रावीचिकमरण कितने प्रकार का कहा गया ? २१ उत्तर - हे गौतम ! चार प्रकार का कहा गया । यथा-नैरयिकक्षेत्रावीचिकमरण, तिर्यञ्च योनिक क्षेत्रावीचिकमरण, (मनुष्य क्षेत्रावीचिकरमण ) यावत् देव क्षेत्रावीचिकमरण ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org