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भगवती सूत्र - य. १३ उ. ७ मृत्यु के विविध प्रकार
उत्तर - गोयमा ! जण्णं णेरइया णेरइए दव्वे वट्टमाणा जाई दवाई रइयाउयत्ताए गहियाई, बढ़ाई, पुट्टाई, कडाई पट्टवियाई, णिविट्ठाई, अभिणिविट्टाई, अभिसमण्णागयाई, भवंति ताई दव्वाई, आवीचियमणुममयं णिरंतरं मरंति त्ति कट्टु से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं gas - 'रइयदव्वावीचियमरणे, एवं जाव देवदव्वावीचियमरणे ।
२१ प्रश्न - खेत्तावीचियमरणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? २१ उत्तर - गोयमा ! चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहा - १ णेरइयखेत्तावीचियमरणे, जाव ४ देवखेत्तावीचियमरणे ।
२२ प्रश्न-से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - 'णेरइयखेत्तावीचियमरणे णेर०२' ?
२२ उत्तर - गोयमा ! जणं णेरइया णेरइयखेत्ते वट्टमाणा जाई.. दव्वाई रइयाउयत्ताए० एवं जहेब दव्वावीचियमरणे तहेव खेत्ता - वीचियमरणे वि । एवं जाव भावावीचियमरणे ।
कठिन शब्दार्थ - गहियाई गृहीत - स्पर्श रूप से ग्रहण किये, बढाई-बन्धन रूप से बांधे, पुट्ठाई-प्रदेशों से पुष्ट किये, कडाई - विशिष्ट अनुभाग - रस से किये गये, पटुबियाई - स्थिति रूप से प्रस्थापित किये, णिविट्ठाई - जीव- प्रदेशों में निविष्ट-प्रवेश किये हुए, अभिनिविट्ठाई - अभिनिविष्ट - अत्यन्त गाढ़ रूप से प्रवेश किये हुए, अभिसमण्णागयाई - अभिसमन्वागत-उदयांभिमुख बने हुए ।
भावार्थ - १८ प्रश्न - हे भगवन् ! मरण कितने प्रकार का कहा गया है ? १८ उत्तर - हे गौतम! मरण पांच प्रकार का कहा गया है । यथा
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