SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२३२ भगवती मूत्र-श. १३ उ. ६ उदायन नरेश चरित्र उदायणे णामं राया होत्था, महया० वण्णओ । तस्स णं उदायणरस रण्णो पभावई णामं देवी होत्था, सुकुमाल० वण्णओ । तस्स णं उदायणस्स रण्णो पुत्ते पभावईए देवीए अत्तए अभीइणाम कुमारे होत्था, सुकुमाल० जहा सिवभद्दे जाव पच्चुवेवम्खमाणे विहरई' । . तस्स णं उदायणस्स रण्णो णियए भाइणिज्जे केसीणामं कुमारे होत्था, सुकुमाल० जाव सुरूवे । से णं उदायणे राया सिंधूसो. वीरप्पामोक्खाणं सोलसण्हं जणवयाणं, वीतीभयप्पामोक्खाणं तिप्हं तेसट्टीणं जयरागरमयाणं, महसेणप्पामोक्खाणं दसण्हं राईणं बद्धमउडाणं विदिण्णछत्तचामर वालवीयणाणं, अण्णेसिं च वहणं राई सर-तलवर० जाव सत्यवाहप्पभिईणं आहेवच्च पोरेवच्चं जाव कारे। माणे, पालेमाणे समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ । कठिन शब्दार्थ-अत्तए-आत्मज-पुत्र, बद्धमउडाणं-मुकुटबन्ध । भावार्थ-४-उस काल उस समय में चम्पा नाम की नगरी थी (वर्णन)। पूर्णभद्र नाम का चैत्य था (वर्णन) । श्रमण भगवान महावीर स्वामी किसी दिन पूर्वानुपूर्वी विचरते हुए चम्पानगरी के पूर्णभद्र चैत्य में पधारे यावत् विचरते है। ___उस काल उस समय में सिन्धुसौवीर देश में वोतिभय नाम का नगर था (वर्णन)। उस वीतिभय नगर के बाहर उत्तर पूर्व दिशा (ईशान कोण) में मंगवन नाम का उद्यान था। वह सभी ऋतुओं के पुष्पादिक से समृद्ध था (वर्णन)। वीतिभय नगर में उदायन नाम का राजा था। वह महाहिमवान् पर्वत के समान था (वर्णन)। उदायन राजा के प्रभावती नाम की रानी थी। वह सुकुमाल हाथ-पैर वाली थी (वर्णन)। उदायन राजा का पुत्र और प्रभावती देवी का आत्मज Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy