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भगवती सूत्र-श. ९ उ. ३२ गांगेय प्रश्न-प्रवेशनक
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है। (१९) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में होता है। (२०) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, यावत् एक अधः सप्तम पृथ्थी में होता है। (२१) अथवा एक वालुकाप्रभा में, यावत् एक अधःसप्तम पृथ्वी में होता है ।
विवेचम-पांच नैरयिक जीवों के द्विक संयोगी १-४।२-३।३-२। ४-१ । इस प्रकार एक विकल्प के स्थान में चार भंग होते हैं। रत्नप्रभा के द्विक संयोगी छह भंगों के साथ चार से गुणा करने पर चौबीस भंग होते हैं। शर्कराप्रभा के साथ पूर्वोक्त रीति से द्विक संयोगी बीस भंग होते हैं । वालुकाप्रभा के साथ १६, पंकप्रभा के साथ १२, धूमप्रभा के साथ ८ भंग और तमःप्रभा के साथ ४ भंग होते हैं । इस प्रकार २४, २०, १६, १२, ८, ४-ये सभी मिलकर द्विक संयोगी ८४ भंग होते हैं।
पांच नैरयिक जीवों के त्रिक संयोगी एक विकल्प के छह भंग होते हैं । यथा-१-१-३ । -२-२ । २-१-२ । १-३-१ । २-२-१। ३-१-१ । सात नरकों के त्रिक-संयोगी पैंतीस विकल्प होते हैं । उन प्रत्येक को छह भंगों से गुणा करने पर पांच नैरयिक जीवों आश्रयी त्रिक-संयोगी २१० भंग होते हैं । इनमें से रत्नप्रभा के संयोग वाले ९०, शर्कराप्रभा के संयोग वाले ६०, वालुकाप्रभा के संयोग वाले ३६, पंकप्रभा के संयोग वाले १८ और .धूमप्रभा के संयोग वाले ६ भंग होते हैं—ये सभी मिलकर २१० भंग होते हैं ।
- पांच नैरयिक जीवों के चतुःसंयोगो १-१-१-२ । १-१-२-१ । १-२-१-१ । २-१-१-१ । ये एक विकल्प के चार भंग होते हैं। सात नरकों के चतुःसंयोगी पैंतीस विकल्प होते हैं । इन पंतीस को चार से गुणा करने पर १४० भंग होते हैं । यथा-रत्नप्रभा के संयोग वाले ८०, शर्कराप्रभा के संयोग वाले ४०, बालकाप्रभा के संयोग वाले १६ और पंकप्रभा के संयोग वाले ४ । ये सभी मिलकर पांच नैरयिक जीवों के चतुःसंयोगी १४० भंग होते हैं। पांच नैरयिकों के पांच संयोगी १-१-१-१-१ । इस प्रकार एक विकल्प का एक ही भंग होता है। इसके द्वारा सात नरकों के पांच संयोगी २१ ही विकल्प और इक्कीस ही भंग होते हैं। जिनमें से रत्नप्रभा के संयोग वाले १५, शर्कराप्रभा के संयोग वाले ५ और बालुकाप्रभा के संयोग वाला १ भंग होता है। ये सभी मिलकर पांच संयोगी २१ भंग होते हैं । असंयोगी ७, द्विकसंयोगी ८४, त्रिक-संयोगी २१०, चतुःसंयोगी १४० और पंचसंयोगी २१ । ये सभी मिलकर पांच नैरयिक जीवों के कुल ४६२ (७+८४+२१०+१४०+२१-४६२) भंग होते हैं ।
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