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भगवती सूत्र-श. ९ उ. ३२ गांगेय प्रश्न-प्रवेशनक
१६४१
अहवा एगे रयगप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होना ९, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा १०; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए धूमणभाए एगे तमाए होजा ११; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा १२; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमप्पभाए एगे अहेमत्तमाए होजा १३; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा १४; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा १५, अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे तमाए होजा १६; अहवा एगे सकरप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा १७; अहवा एगे सकरप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा १८; अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १९; अहवा एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा २०; अहवा एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा २१ ।
(पंच संयोगी इक्कीस भंग) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में,
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