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भगवती सूत्र-श. ९ उ. ३२ गांगेय प्रश्न-प्रवेशनक
प्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रमा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में होता है। (ये चार भंग होते हैं।) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और दो धूमप्रभा में होते हैं । जिस प्रकार चार नरयिक जीवों के चतुःसंयोगी भंग कहे हैं, उसी प्रकार पांच नैरयिक जीवों के भी चतुःसंयोगी भंग कहना चाहिये, परन्तु यहां एक अधिक का संचार (संयोग) करना चाहिये। इस प्रकार यावत् दो पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में होता है । यहाँ तक कहना चाहिये। (ये चतुःसंयोगो १४० भंग होते हैं ।)
___- अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा १; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होजा २; अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा ४; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा ५; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ६; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे घूमप्प. भाए एगे तमाए होजा.७; अहवा एगे रयणप्पभाए. एगे सकरणभाए एगे पंकप्पभाए एगे घूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा;
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