________________
भगवती सूत्र - श. ९ उ. ३२ गांगेय प्रश्न - प्रवेशनक
पृथ्वी में होता है । ( इस तरह ये द्विक संयोगी त्रेसठ भंग हुए ।)
१६२८
अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होना; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो पंकप्पभाए होना; एवं जाव एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहे सत्तमाए होना । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एंगे वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्कप्पभाए एगे असत्तमाए होजा | अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा | अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो आहेसत्तमाए होजा । एवं एएणं गमरणं जहा तिन्हं तियसंजोगो तहा भाणि - यव्वो; जाव अहवा दो धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा १०५ ।
कठिन शब्दार्थ - एएन- इस प्रकार, गमए - गमक (पाठ) से, तिय संजोगी- त्रिक
संयोग ।
(त्रिक संयोगी १०५ भंग - ) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो वालुकाप्रभा में होते हैं । अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो पंकप्रभा में होते हैं । इसी प्रकार यावत् एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो अधः सप्तम पृथ्वी में होते हैं । ( इस प्रकार १ - १-२ के पांच
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org