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________________ भगवती सूत्र-ग. ९. 3. १२ गांगेय प्रश्न – प्रवेशनक १६२३ मकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा, जाव अहवा एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा । अहवा एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा; अहवा एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेमत्तमाए होजा; अहवा एगे सकरप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा। अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होजा; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा । अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा; अहवा एगे पंकप्पभोए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा; अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा; अहवा एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा; अहवा एगे घूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा। . 'भावार्थ-१३ प्रश्न-हे भगवन् ! नरयिक प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए तीन नरयिक क्या रत्नप्रभा में उत्पन्न होते हैं, अथवा यावत् अधःसप्तम पृथ्वी में उत्पन्न होते है ? १३ उत्तर-हे गांगेय ! वे तीन नैरयिक रत्नप्रभा में उत्पन्न होते हैं अथवा यावत् अधःसप्तम पृथ्वी में उत्पन्न होते हैं । अथवा एक रत्नप्रभा में वो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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