SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६२२ भगवती सूत्र-श. ९ उ. ३२ गांगेय प्रश्न-प्रवेगनक अहवा दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा: जाव अहवा दो सस्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । एवं जहा सस्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया, तहा सव्वपुढवीणं भाणियःवं, जाव अहवा दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । ___ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा; जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहे. सत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमपभाए हो जा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुय. प्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूम-पभाए होजा; जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसतमाए होजा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमणभाए एगे अहेसत्तमाए होजा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसतमाए होजा । अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा; अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालपप्पभाए एगे धूमप्पभाए होना; जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होना । अहवा एगे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy