________________
भगवती सूत्र-शः १. 'उ. ३२ गांगेय प्रश्न-प्रवेशनक
और एक धूमप्रभा में । या एक वालुकाप्रभा में और एक तमःप्रभा में।) इस प्रकार यावत् एक वालुकाप्रभा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में उत्पन्न होता है।
इस प्रकार पूर्व पूर्व की एक एक पृथ्वी छोड़ देनी चाहिये यावत् एक तमःप्रभा में, और एक अधःसप्तम पृथ्वी में उत्पन्न होता है । (वालुकाप्रभा के साथ चार विकल्प, पंकप्रभा के साथ तीन विकल्प और धूमप्रभा के साथ दो विकल्प होते. हैं।
बिवेचन-दो नैरयिक. जीवों के अट्टाईस विकल्प होते हैं। उनमें से एक एक नरक में दोनों नैरयिक साथ उत्पन्न होने की अपेक्षा मात भंग होते हैं । नरकों में एक एक नैरयिक की उत्पत्ति की अपेक्षा द्विक-मपोगी इक्कीस भंग होते हैं । जिनमें रत्नप्रभा के साथ छह शर्कराप्रभा के साथ पांच, वालुकाप्रभा के साथ चार, पंकप्रभा के साथ तीन, धूमप्रभा के साथ दो और तमःप्रभा के साथ एक विकल्प होता है । इस प्रकार द्विक संयोगी कुल इक्कीस विकल्प तथा भंग होते हैं । असंयोगी (अकेले) सात भंग होते हैं । ये सभी मिलाकर दो जीव की अपेक्षा अट्टाईस ( २१ + ७ = २८ ) भंग होते है ।
१३-प्रश्न-तिण्णि भंते ! णेरड्या गेरइयपवेसणएणं पविसमाणा 'किं. रयणप्पभाए होजा, जाव अहेसत्तमाए होजा ? .
१३ उत्तर-गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा, जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा; जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा; जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा: जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org