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भगवती सूत्रा ९.उ. ३२ गांगेयं प्रश्न- प्रवेशनक
असत्तमाए होज्जा | अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा । एवं एक्षका पुढवी छड्डेयव्वा, जाव अहवा एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा ।
कठिन शब्दार्थ - छड्डेयव्वा छोड़ देना चाहिये, अहवा - अथवा
भावार्थ - १२ प्रश्न - हे भगवन् ! दो नैरयिक जीव, नैरयिक प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होते हैं, अथवा यावत् अधः सप्तम पृथ्वी में ?
१२ उत्तर - हे गांगेय ! वे दोनों ( १ ) रत्नप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होते हैं, अथवा (२-७) यावत् अधः सप्तम पृथ्वी में उत्पन्न होते हैं अथवा (८) एक रत्नप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक शर्करा ना पृथ्वी में, (९) अथवा एक रत्नप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक वालुकाप्रभा पृथ्वी में । ( १०- १४) अथवा यावत् एक रत्नप्रभा में उत्पन्न होता है और एक अधः सप्तम पृथ्वी में । ( एक रत्नप्रभा में उत्पन्न होता है और एक पंकप्रभा में, या एक रत्नप्रभा में और एक धूमप्रभा में, या एक रत्नप्रभा में और एक तमः प्रमा में या एक रत्नप्रभा में और एक तमस्तमः प्रभा में उत्पन्न होता है । इस प्रकार रत्नप्रभा के साथ छह विकल्प होते हैं) ।
अथवा एक शर्कराप्रभा पृथ्वी में होता है और एक वालुकाप्रभा में, अथवा यावत् एक शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में उत्पन्न होता है, ( एक शर्कराप्रभा में और एक वालुकाप्रभा में, या एक शर्कराप्रभा में और एक पंकप्रभा में, या एक शर्कराप्रभा में और एक धूमप्रभा में, या एक शर्कराप्रभा में और एक तमः प्रभा में, या एक शर्कराप्रभा में और एक तमः तमः प्रभा में उत्पन्न होता है । इस प्रकार शर्कराप्रमा के साथ पांच विकल्प होते हैं ।) अथवा एक वालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में । ( अथवा एक वालुकाप्रभा में
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