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. भगवती सूत्र-श. १२ उ. १० आत्मा के आठ भेद और उनका संबंध
उपयोगात्मा अवश्य है।
जिस जीव के उपयोगात्मा है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है और जिस जीव के दर्शनात्मा है, उसके उपयोगात्मा अवश्य हैं।
जिस जीव के उपयोगात्मा है, उसके चारित्रात्मा की भजना है । असंयति जीवों के उपयोगात्मा तो होती है, परन्तु चारित्रात्मा नहीं होती । जिस जीव के चारित्रात्मा होती है, उसके उपयोगात्मा अवश्य होती है।
जिस जीव के उपयोगात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा की भजना है। सिद्धों में उपयोगात्मा के होते हुए भी वीर्यात्मा नहीं पाई जाती। . ज्ञानात्मा, दर्शनात्मा, चारित्रात्मा और वीर्यात्मा में उपयोगात्मा अवश्य रहती है। जीव का लक्षण ही उपयोग है । उपयोग लक्षण वाला जीव ही ज्ञान, दर्शन, चारित्र और वीर्य का धारक होता है । उपयोग-शून्य घटादि में जानादि नहीं पाये जाते । .. ज्ञानात्मा के साथ ऊपर की तीन आत्माओं का सम्बन्ध इस प्रकार है;-..
जिस जीव के ज्ञानात्मा है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है । ज्ञान (सम्यग्ज्ञान) सम्यग्दृष्टि जीवों के होता है और वह दर्शनपूर्वक ही होता है । जिस जीव के दर्शनात्मा है, उसके ज्ञानात्मा की भजना है, क्योंकि मिथ्यादृष्टि जीवों के दर्शनात्मा होते हुए भी ज्ञानात्मा नहीं होती। . ..... - जिस जीव के ज्ञानात्मा है, उसके चारित्रात्मा की भजना है । अविरति सम्यग्दृष्टि जीब के ज्ञानास्मा होते हुए भी. चारित्रात्मा नहीं होती । जिस जीव के चारित्रात्मा है, उसके ज्ञानात्मा अवश्य होती है । ज्ञान के बिना चारित्र का अभाव है।
जिस जीव के ज्ञानात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा की भजना है। मिद्ध जीवों में ज्ञानात्मा के होते हुए भी वीर्यात्मा नहीं होती। जिस जीव के वीर्यात्मा' है, उसके ज्ञानात्मा की भजना है । मिथ्यादृष्टि जीवों के . वीर्यात्मा होते हुए भी जानात्मा नहीं होती। .
....... ..... ...... - दर्शनात्मा के साथ चारित्रात्मा और वीर्यात्मा का सम्बन्ध इस प्रकार है;-...
जिस जीव के दर्शनात्मा होती है उसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा की भजना है, क्योंकि दर्शनात्मा के होते हुए भी असंयति जीवों के चारित्रात्मा नहीं होती और सिद्धों के वीर्यात्मा नहीं होती । जिस जीव के चारित्रात्मा और वीर्यात्मा होती है उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है । सामान्यावबोध रूप दर्शन तो सभी जीवों में होता है।
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