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भगवती सूत्र--श. १२ उ. ?. आत्मा के आठ भेद और उनका संबंध
अकषायी दोनों प्रकार के होते हैं।
योगात्मा के साथ आग का पांच आत्माओं का पारम्परिक सम्बन्ध इस प्रकार हैं:
जिस जीव के योगात्मा होता है, उसके उपयोगात्मा अवश्य होती है। सभी सयोगी जीवों में उपयोग होता ही है, किन्तु जिसके उपयोगात्मा होती है, उसके योगात्मा होती भी है और नहीं मी होती । चौदहवं गणस्थानवर्ती अयोगी केवली और सिद्धात्माओं में उपयोगात्मा होते हुए भी योगात्मा नहीं है।
____ जिस जीव के योगात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा की भजना है । मिथ्यादृष्टि जीवों में योगात्मा होते हुए भी ज्ञानात्मा नहीं होती । इसी प्रकार ज्ञानात्मा वाले जीव के भी योगात्मा की भजना है । चौदहवें गुणस्थानवर्ती अयोगी-केवली और सिद्ध जीवों में ज्ञानात्मा होते हुए भी योगात्मा नहीं होती।
जिस जीव के योगात्मा होती है, उसके दर्शन आत्मा अवश्य होती है। सभी जीवों में सामान्यावबोध रूप दर्शन रहता ही है। किन्तु जिस जीव के दर्शनात्मा होती है, उसके योगात्मा की भजना है । दर्शन वाले जीव योग सहित भी होते हैं और योग रहित भी होते हैं। . जिस जीव के योगात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा की भजना है । योगात्मा होते हुए भी अविरत जीवों में चारित्रात्मा नहीं होती। इसी तरह जिस जीव के चारित्रात्मा होती है, उसके भी योगात्मा की भजना है, क्योंकि चौदहवें गुणस्थानवर्ती अयोगी जीवों के चारित्रात्मा तो है, परन्तु योगात्मा नहीं है । दूसरी वाचना में यह बताया है कि जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके नियमपूर्वक योगात्मा होती है । यहाँ प्रत्युपेक्षणादि व्यापाररूप चारित्र की विवक्षा है और यह चारित्र योगपूर्वक ही होता है। .
जिसके योमात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा अवश्य होतो है। योग होने पर वीर्य अवश्य होता ही है। जिसके बीर्यात्मा होती है, उसके योगात्मा की भजना है. क्योंकि अयोगी केवली में वीर्यात्मा तो है, किन्तु योगात्मा नहीं है। यह बात करण और लब्धि दोनों वीर्यात्माओं को लेकर कही गई है। जहां करण-वीर्यात्मा है, वहाँ योगात्मा अवश्य रहेगी, परतु जहाँ लब्धि-वीर्यात्मा है, वहाँ योगात्मा की भजना है।
उपयोगात्मा के साथ ऊपर को चार आत्माओं का सम्बन्ध इस प्रकार है
जिस जीव के उपयोगात्मा है, उसके ज्ञानात्मा की भजना है । मिथ्यादष्टि जीवों में उपयोगात्मा होते हुए भी ज्ञानात्मा नहीं होती। जिस जीव के ज्ञानात्मा है, उसके
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