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भगवती सूत्र-श. १२ 3. ९ भव्यद्रव्यादि पांच प्रकार के देव
२०९५.
की आयु इतनी ही थी।
कोई भी मनुप्य अन्तर्महर्त आय प्य शेष रहने पर चारित्र स्वीकार करे तो, उमकी अपेक्षा धर्मदेव की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहुर्त को कही गई है । कोई पूर्वकोटि वर्ष की आयुप्यवाला मनुष्य, सातिरेक आठ वर्ष की उम्र में चारित्र स्वीकार करे । उसकी अपेक्षा धर्मदेव की उत्कृष्ट स्थिति देशोनपूर्वकोटि कही गई है। पूर्वकोटि वर्ष से अधिक की आयुष्य वाला मनुष्य, चारित्र स्वीकार नहीं कर सकता।
देवाधिदेव की जघन्य स्थिति बहत्तर वर्ष की है । चरम तीर्थपति भ. महावीरस्वामी की आय इतनी ही थी । उत्कृष्ट स्थिति चौरासी लाग्य पूर्व की होती है। प्रथम तीर्थकर भ० ऋपभदेव की आयु इतनी ही थी।
। २१ प्रश्न-भवियदव्वदेवा णं भंते ! किं एगत्तं पभू विउटिवत्तए, पुहुत्तं पभू विउन्वित्तए ? - ____२१ उत्तर-गोयमा ! एगत्तं पि पभू विउवित्तए, पुहुत्तं पि पभू विउवित्तए, एगत्तं विउव्वमाणे एगिदियरूवं वा जाव पंचिंदियरूवं वा, पुहुत्तं विउव्वमाणे एगिदियरूवाणि वा, जाव पंचिंदियरूवाणि वा, ताई संखेजाणि वा असंखेज्जाणि वा, संबद्धाणि वा असंबद्धाणि वा, सरिसाणि वा असरिसाणि वा विउव्वंति, विउवित्ता तओ पच्छा अप्पणो जहिच्छियाई कज्जाइं करेंति, एवं गरदेवा वि, एवं धम्मदेवा वि ।
२२ प्रश्न-देवाहिदेवाणं पुच्छ ?
२२ उत्तर-गोयमा ! एगत्तं पि पभू विउवित्तए, पहुत्तं पि पभू विउवित्तए, णो चेव णं संपत्तीए विउब्बिसु वा विउविति वा
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