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: भगवती सूत्र - १२ : ५. अवकाशान्तरादि में वर्णादि
१० प्रश्न - जीवे णं भंते! गर्भ वक्कममाणे कवणं, कहगंध, कइरसं, कफासं परिणामं परिणमइ ?
१८ उत्तर - गोयमा ! पंचवण्णं, पंचरसं, दुगंधं, अडफासं परिणामं परिणम |
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भावार्थ - १७ प्रश्न - हे भगवन् ! सभी द्रव्य कितने वर्णादि वाले हैं ? १७ उत्तर - हे गौतम! कुछ द्रव्य पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाले हैं, कुछ पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और चार स्पर्शवाले हैं. और कुछ एक वर्ण, एक रस, एक गन्ध और दो स्पर्श वाले हैं, तथा कुछ द्रव्य वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से रहित हैं। इसी प्रकार सभी प्रदेश, सभी पर्याय, अतीत काल, अनागत काल और समस्त काल - ये सब वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से रहित हैं। १८ प्रश्न - हे भगवन् ! गर्भ में उत्पन्न होता हुआ जीव कितने वर्ण, गंध रस और स्पर्श वाले परिणाम से परिणत होता है ?
१८ उत्तर - हे गौतम ! वह पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाले परिणाम से परिणत होता है ।
विवेचन -- लेश्या दो प्रकार की है; द्रव्य - लेश्या और भाव-लेश्या । द्रव्य लेश्या वादर पुद्गल परिणाम रूप होने से वह पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाली होती है । भावलेश्या आन्तरिक परिणामरूप होने से वर्णादि रहित होती है ।
बादर पुद्गल पाँच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाले होते है और सूक्ष्म पुद्गल द्रव्य पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और चार स्पर्श वाले होते हैं । परमाणु- पुद्गल एक वर्ण, एक रस, एक गन्ध और दो स्पर्श वाला होता है। दो स्पर्श इस प्रकार है- स्निग्ध और उष्ण अथवा स्निग्ध और शीत अथवा रूक्ष और शीत अथवा रूक्ष और उष्ण ।
द्रव्य के निर्विभाग अंश को 'प्रदेश' कहते हैं और द्रव्य के धर्म को 'पर्याय' कहते हैं । मूर्त द्रव्यों के प्रदेश और पर्याय, उन्हीं के समान वर्णादि वाले होते हैं। अमूर्त्त द्रव्यों के प्रदेश और पर्याय भी उन्हीं द्रव्यों के समान वर्णादि रहित होते हैं । अतीत, अनागत और सर्वं काल, ये अमूर्त होने से वर्णादि रहित हैं ।
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