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भगवती सूत्र-श. १२ उ. ५ अवकाशान्तरादि में वर्णादि
स्पर्श रहित हैं। पुद्गलास्तिकाय पांच वर्ण, पांव रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाला है । ज्ञानावरणीय यावत् अन्तराय-ये आठ फर्म पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और चार स्पर्श वाले हैं ।
१६ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्ण लेश्या कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाली है ?
१६ उत्तर-हे गौतम ! द्रव्य लेश्या को अपेक्षा पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाली है और भाव लेश्या की अपेक्षा वर्णादि रहित है । इसी प्रकार यावत् शुक्ल लेश्या तक जानना चाहिये । सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि सम्यगमिथ्यादृष्टि, चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन,केवलदर्शन,आभिनियोधिक (मति)ज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यवज्ञान, केवलज्ञान, मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान, विभंगज्ञान, आहारसंज्ञा, भयसंज्ञा, मथुनसंज्ञा और परिग्रहसंज्ञा, ये सभी वर्णादि रहित हैं। औदारिक शरीर, वैक्रियशरीर, आहारक शरीर और तेजसशरीर ये आठ स्पर्श वाले हैं और कार्मगशरीर, मनयोग और ववनयोग, ये चार स्पर्श वाले हैं। कोय योग आठ स्पर्शवाला है। साकारोपयोग और अनाकारोपयोग ये दोनों वर्णादि रहित हैं।
१७ प्रश्न-सब्बदव्वा णं भंते ! कड़वण्णा-पुच्छा ।
१७ उत्तर-गोयमा ! अत्थेगइया सव्वदव्या पंचवण्णा, जाव अट्ठफासा पण्णता अत्यंगइया सम्बदन्वा पंचवण्णा चउकासा पण्णता; अत्थेगइया सव्वदव्वा एगवण्णा एगगंधा एगरसा दुफासा पण्णत्ता, अत्थेगइया सव्वदव्वा अवण्णा जाव अफासा पण्णत्ता । एवं सबपएसा वि सव्वपजवा वि तीयद्धा अवण्णा जाव अासा पण्णत्ता, एवं अणागयद्धा वि एवं सम्बद्धा वि।
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