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________________ भगवती सूत्र-श. १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग लियपोग्गल० अणंतगुणे, आणापाणुपोग्गल० अणंतगुणे, मणपोग्गल० अणंतगुणे, वइपोग्गल० अणंतगुणे, वेउब्वियपोग्गलपरियदृणिवत्तणाकाले अणंतगुणे । ___३१ प्रश्न-एएसि णं भंते ! ओरालियपोग्गलपरियट्टाणं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टाण य कयरे कयरेहितो जाव विसेसा. हिया वा ? - ३१ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवा वेउवियपोग्गलपरियट्टा, वइपो० अणंतगुणा, मणपो० अर्णतगुणा, आणापाणुपो० अणंत. गुणा, ओरालियपो० अणंतगुणा, तेयापो० अणंतगुणा कम्मगपो० अणंतगुणा। .. ® सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं जाव विहरह के ॥ चउत्थो उद्देसो सम्मत्तो । कठिन शब्दार्थ-णिव्वत्तिज्जइ-निवर्तित-निष्पन्न होता है। भावार्थ-२९ प्रश्न-हे भगवन् ! औदारिक पुद्गल परिवर्तन कितने काल में निर्वतित-निष्पन्न होता है ? २९ उत्तर-हे गौतम ! अनन्त उत्सपिणी और अवसर्पिणी काल में निष्पन्न होता है । इसी प्रकार वैक्रिय पुद्गल परिवर्तन यावत् आनप्राण पुद्गल परिवर्तन तक जानना चाहिए। ३० प्रश्न-हे भगवन् ! औदारिक पुद्गल परिवर्तन निष्पत्तिकाल, वक्रिय पुद्गल परिवर्तन निष्पत्तिकाल यावत् आनप्राण पुद्गल परिवर्तन निष्पत्तिकाल, इनमें कौनसा काल किस काल से अल्प यावत् विशेषाधिक है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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