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________________ भगवती सूत्र - श. १२ उ. ४ पुद्गल परिवर्तन के भेद वि, एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टा, जाव वेमाणियाणं एवं एए पोहत्तिया सत्त उव्वीसदंडगा । २० प्रश्न - एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स णेरइयत्ते केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? २० उत्तर - णत्थि एक्को वि । (प्र०) केवइया पुरेक्खडा ? (उ० ) णत्थि एक्को वि । २१ प्रश्न - एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयरस असुरकुमारते केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा० १ २१ उत्तर - एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारत जहा असुरकुमारत्ते । २२ प्रश्न- एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स पुढंविक्काइयत्ते केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? २०३४ २२ उत्तर - अनंता, (प्र०) केवइया पुरेक्खडा १ ( उ० ) कस्सइ अस्थि, कस्स णत्थि जस्सत्थि तस्स जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा, एवं जाव मणुस्सत्ते, वाणमंतर - जोइ सिय-वेमाणियत्ते जहा असुरकुमारते । कठिन शब्दार्थ - एगत्तिया - एक वचन सम्बन्धी, पोहत्तिया - बहु वचन सम्बन्धी । भावार्थ - १८ प्रश्न - हे भगवन् ! प्रत्येक नैरयिक जीव के भूतकाल में वैकिय पुद्गल परिवर्तन कितने हुए हैं ? १८ उत्तर - हे गौतम! अनन्त हुए हैं। जिस प्रकार औदारिक पुद्गल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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