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________________ भगवती सूत्र-श. १२ उ. ४ दगल परिवर्तन के मेद रिक पुद्गल परिवर्तन, वैक्रिय पुद्गल परिवर्तन यावत् आनप्राण पुदगल परिवर्तन । इस प्रकार यावत् वैमानिक तक कहना चाहिये। १६ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रत्येक नरयिक जीव के भतकाल में औदारिक पुद्गल परिवर्तन कितने हुए है। १६ उत्तर-हे गौतम ! अनंत हुए हैं। (प्रश्न) हे भगवन् ! भविष्यत्काल में कितने होंगे ? (उत्तर) हे गौतम ! किसी के होंगे ओर किसी के नहीं होंगे। जिसके होंगे उनके जघन्य एक, दो, तीन होंगे और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात या अनंत होंगे। १७ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रत्येक असुरकुमार के भूतकाल औदारिक पुद्गल परिवर्तन कितने हुए हैं ? १७ उत्तर-हे गौतन ! पूर्ववत् जानना चाहिये। इसी प्रकार पावत् मानिक तक जानना चाहिये । १८ प्रश्न-पगमेगस्स णं भंते ! गैरइयस्स केवइया वेउव्वियपोग्गलपरियट्टा, अतीता० ? ...१८-उत्तर-अणंता, एवं जहेव ओरालियपोग्गलपरियट्टा तहेव वेउवियपोग्गलपरियट्टा वि भाणियन्वा, एवं जाव वेमाणियस्स, एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टा, एए एगत्तिया सत्त दंडगा भवंति । १९ प्रश्न-णेरड्याणं भंते ! केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? १९ उत्तर-गोयमा ! अणंता, (प्र०) केवइया पुरेवखडा ? (उ०) अणंता, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं वेउब्वियपोग्गलपरियट्टा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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