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२०२८
भगवती सूत्र-श. १२ उ. परमाणु और स्कन्ध के विभाग
कजइ । दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ अणंतपएसिए बंधे भवइ; जाव अहवा दो अणंतपएसिया बंधा भवति ।
___ भावार्थ-१२ प्रश्न-हे भगवन् ! अनन्त परमाणु-पुद्गल इकट्ठे होकर क्या बनता है ?
१२ उत्तर-हे गौतम ! एक अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होता है। यदि उसके विभाग किये जाये, तो दो, तीन यावत् दस, संख्यात, असंख्यात और अनन्त विभाग होते हैं। जब दो विभाग किये जाते हैं, तो एक ओर एक परमाणुपुद्गल और एक ओर अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होता है, यावत् दो अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होते हैं।
तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले. एगयओ दुपएसिए, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवड़; जाव अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ असंखेजपएसिए खंधे, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति, एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ दो अणंतपएसिया बंधा भवंति; अहवा एगयओ संखेजपएसिए खंधे, एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ असंखेजपएसिए खंधे एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति; अहवा तिण्णि अणंतपएसिया बंधा भवति ।
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