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भगवती सूत्र-शः-१२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग
२०२०
अहवा एगयओ संखेना दसपएसिया खंधा, एगयओ असंखेज. पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ संखेजा संखेजपएसिया खंधा, एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवइ; अहवा संखेज्जा असंखेज्ज. पएसिया खंधा भवंति। असंखेज्जहा कज्जमाणे असंखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति।
____ भावार्थ-जब उसके संख्यात विभाग किये जाते हैं, तो एक ओर पृथक्पृथक् संख्यात परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर संख्यात द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है । इस प्रकार यावत् एक ओर संख्यात दस प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर संख्यात संख्यातप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा संख्यात, असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं।
जब उसके असंख्यात विभाग किये जाते हैं, तो पृथक्-पृथक् असंख्य परमाणु पुद्गल होते हैं।
विवेचन-असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध में पहले बारह कहकर फिर ग्यारह-ग्यारह बढ़ाने चाहिए। इसके कुल भंग पांच सो सतरह होते हैं । यथा;-दो संयोगी १२, तीन संयोगी २३, चार संयोगी ३४, पाँच संयोगी ४५, छह संयोगी ५६, सात संयोगी ६७, आठ संयोगी ७८, नो संयोगी ८९, दस संयोगी १००, संख्यात संयोगी १२ और असंख्यात संयोगी एक । ये सब ५१७ भंग होते हैं ।
___ १२ प्रश्न-अणंता णं भंते ! परमाणुपोग्गला जाव किं भवइ ?
१२ उत्तर-गोयमा ! अणंतपएसिए खंधे भवइ; से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव दसहा वि संखेजा-असंखेजा-अणंतहा वि
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