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भगवती सूत्र-श. १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग
२०२९
भावार्थ-जब उसके तीन विभाग किये जाते हैं, तो एक ओर पृथक-पथवा दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होता है, यावत् एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक और एक असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाण-पुद्गल और एक ओर दो अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होते हैं, अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होते हैं । इस प्रकार यावत् एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होते हैं, अथवा एक और एक संख्यात प्रदेशी स्कंध और एक ओर दो अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होते है, अथवा एक ओर एक असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो अनन्त प्रदेशो स्कंध होते हैं, अथवा तीनों अनंत प्रदेशी स्कन्ध होते हैं।
चउहा कन्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ अणंतपएमिए बंधे भवड; एवं चउपकसंजोगो, जाव असंखेजगसंजोगो, एए सव्वे जहेव असंखेजाणं भणिया तहेव अणंताणवि भाणियव्यं; णवरं एक्कं अणंतगं अभहियं भाणियन्वं, जाव अहवा एगयओ संखेना संखेजपएसिया बंधा, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ संखेजा असंखेजपएसिया खंधा, एगयओ अणंतपएमिए खधे भवड़; अहवा मंग्वेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति।
भावार्थ-जब उसके चार विभाग किये जाते हैं, तो एक ओर पथक-पृथक तीन परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक अनंत प्रदेशी स्कंध होता है । इस प्रकार
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