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________________ भगवती मूत्र-श. १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग २०२३ गल, एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाण-पुद्गल, और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं, अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं । इस प्रकार यावत् एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं, अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और एक ओर तीन संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं, अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर तीन संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं । इस प्रकार यावत् एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर तीन संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं, अथवा चारों संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। ___ एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगो वि भाणियव्वो, जाव णवगमंजोगो । दसहा कन्जमाणे एगयओ णव परमाणुपोग्गला, एगयओं संखेजपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ अट्ट परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए, एगयओ संखेजपएसिए खधे भवइ । एएणं कमेणं एक्केको पूरेयव्वो, जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खधे; एगयओ णव संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा दस संखेज्जपएसिया खंधा भवंति । संखेज्जहा कज्जमाणे संखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति। भावार्थ-इस प्रकार इस क्रम से पंच संयोगी भी कहना चाहिये, यावत नौ संयोगी तक कहना चाहिये। जब उसके दस विभाग किये जाते हैं तो एक ओर पृथक-पृथक् नौ परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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