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२०२२
भगवती सूत्र-श. १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग
एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ तिप्पएसिए खंधे, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; एवं जाव अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला; एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति; जाव अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति, अहवा एगयओ परमाणु. पोग्गले, एगयओ तिणि संखेजपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिण्णि संखेजपएसिया खंधा भवंति; जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ तिण्णि संखेजपएसिया खंधा भवंति; अहवा चत्तारि संखेजपएसिया खंधा भवंति।
भावार्थ-जब उसके चार विभाग किये जाते हैं, तो एक ओर पृथक्पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कंध और एक ओर एक संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात प्रवेशी स्कन्ध होता है । इस प्रकार यावत् एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्
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