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भगवती मुत्र -ग. १० उ. ४ परमाणु और मान्य के. विभाग
२०२१
यओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिपएसिए खंधे एगयओ संग्वेजपएसिए खंधे भवड़; एवं जाव अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणु पोग्गले, एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयो दो संखेजपएसिया खंधा भवंति; एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ दो संखेजपएसिया खधा भवंति; अहवा तिण्णि संखेजपएसिया खंधा भवति ।
भावार्थ-जब उसके तीन विभाग किये जाते हैं, तो एक ओर पृथक्-पृथक दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक और एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है । इस प्रकार यावत् अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध
और एक ओर एक संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कंध होते हैं, अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कंध और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कंध होते हैं। इस प्रकार यावत् एक ओर एक दस प्रदेशी स्कंध और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कंध होते हैं, अथवा तोन संख्यात प्रदेशी स्कंध होते हैं।
* चहा कन्जमाणे एगयओ तिणि परमाणुपोग्गला, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला,
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