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________________ २००४ भगवती सूत्र-श १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग परमाणुगेग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, पगयओ दो दुष्पएसिया खंधा भवंति । पंचहा कजमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ । छहा कन्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति । कठिन शब्दार्थ-एगयओ-एक ओर । भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! छह परमाणु पुद्गल जब इकट्ठे होते हैं, तो क्या बनता है ? ___५ उत्तर-हे गौतम ! षट् प्रदेशी स्कन्ध बनता है । यदि उसका विभाग किया जाय, तो दो, तीन, चार, पाँच या छह विभाग होते हैं । जब उसके दो विभाग होते हैं, तब एक ओर एक परमाणु पुद्गल और एक ओर एक पञ्च . प्रदेशी स्कन्ध रहता है, अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध रहता है, अथवा दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते है । जब उसके तीन विभाग होते हैं, तब एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु-पुदगल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा तीन द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। जब चार विभाग होते हैं, तब एक ओर पृथक-पृथक् तीन परमाणु पुद्गल और एक ओर त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर पृथक-पृथक् दो परमाणु पुद्गल और एक ओर द्विप्रदेशी दो स्कन्ध होते हैं । जब उसके पांच विभाग होते हैं, तो एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणुपुद्गल और एक ओर द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है । जब उसके छह विभाग होते हैं, तब उसके पृथक्-पृथक् छह परमाणुपुद्गल होते हैं । ६ प्रश्न-सत्त भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा। ६ उत्तर-गोयमा ! सत्तपएसिए खंधे भवइ; से भिजमाणे दुहा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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