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________________ भगवती सूत्र-श. १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग २००३ एक ओर एक परमाणु पुद्गल और दूसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कन्ध रहता है। अथवा एक ओर द्विप्रदेशी स्कन्ध और दूसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कन्ध रहता है । यदि उसके तीन विभाग किये जाय, तो एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु पुद्गल और दूसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कन्ध रहता है-१-१-३ । अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल और दूसरी ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध रहते हैं-१-२-२ । यदि उसके चार विभाग किये जाय तो एक ओर पृथक्-पथक् तीन परमाणु पुद्गल और दूसरी ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध रहता है-१-१-१-२ । यदि उसके पांच विभाग किये जाय तो पृथक्-पृथक् पांच परमाणु होते हैं । यथा-१-१-१-१-१ । विवेचन-द्विप्रदेशी स्कन्ध में एक विकल्प (भंग) है । यथा-१-१ । त्रिप्रदेशी के दो विकल्प हैं, १-२ । १-१-१ । चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के चार विकल्प हैं, यथा-१-३ । २-२ । १-१-२ । १-१-१-१.। पंच प्रदेशी स्कन्ध के छह विकल्प होते हैं, यथा-१-४ । २-३ । १-१-३ । १-२-२ । १-१-१-२ । १-१-१-१-१ । ५ प्रश्न-छभंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा। ५ उत्तर-गोयमा ! छप्पएसिए खंधे भवइ, से भिन्जमाणे दुहा वि. तिहा वि जाव छब्बिहा वि कज्जइ । दुहा कन्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा दो तिपएसिया बंधा भवति । तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ चउपएसिए ग्वधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा तिणि दुपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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