________________
शतक १२ उद्देशक २
जयंती श्रमणोपासका
१ - तेणं कालेणं तेणं समपणं कोसंवी णामं णयरी होत्था । वणओ | चंदोवतरणे चेइए । वण्णओ । तत्थ णं कोसंबीए णयto सहस्साणीयस्स रण्णो पोते सयाणीयस्स रण्णो पुत्ते चेडगस्स रणो णत्तुए मियावईए देवीए अत्तए जयंतीए समणोवासियाए भत्तिजए उदायणे णामं राया होत्या । वण्णओ । तत्थ णं कोसं are rare सहस्साणीयस्स रण्णो सुण्हा सयाणीयस्स रण्णो भज्जा चेडगस्स रण्णो धूया उदायणस्स रण्णो माया जयंतीए समणोवासियाए भाउजा मियावई णामं देवी होत्था । वण्णओ । सुकुमाल० जाव सुरूवा समणोवासिया जाव विहरड़ । तत्थ णं कोसंबीए णयरीए सहस्साणीयस्स रण्णो धूया सयाणीयस्स रण्णो भगिणी उदायणस्स रण्णो पिउच्छा मियावईए देवीए णणंदा वेसालीसावयाणं अरहंताणं पुव्वसिज्जायरी जयंती णामं समणोवासिया होत्था, सुकुमाल० जाव सुरूवा अभिगय० जाव विहरs |
कठिन शब्दार्थ - - सुहा— पुत्रवधू, पिउच्छा -- पितृश्वसा - भूआ, णत्तुए - -नप्तृकदोहित्र, भाउज्जा -- भोजाई ।
भावार्थ - १ उस काल उस समय में कौशाम्बी नामकी नगरी थी ( वर्णन ) । चन्द्रावतरण उद्यान था ( वर्णन ) । उस कौशाम्बी नगरी में सहस्रानीक राजा का पौत्र, शतानीक राजा का पुत्र, चेटक राजा का दोहित्र, मृगावती रानी का
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org