SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५९८ भगवती सूत्र-श. ९ उ. ३१ असोच्चा-लेश्या ज्ञान योगादि वेदए होज्जा, पुरिस-णपुंसगवेदए होजा; णपुंसगवेदए होज्जा ? ___ २२ उत्तर-गोयमा ! णो इस्थिवेदए होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, णो णपुंसगवेदए होज्जा, पुरिस-णपुंसगवेदए वा होज्जा। २३ प्रश्न-से णं भंते ! किं सकसाई होज्जा, अकसाई होज्जा ? २३ उत्तर-गोयमा ! सकसाई होज्जा, णो अकसाई होजा। २४ प्रश्न-जइ सकसाई. होजा, से णं भंते ! कइमु कसाएसु होज्जा ? २४ उत्तर-गोयमा ! चउसु संजलणकोह-माण-माया-लोभेसु होज्जा। २५ प्रश्न-तस्स णं भंते ! केवइया अज्झवसाणा पण्णत्ता ? २५ उत्तर-गोयमा ! असंखेज्जा अज्झवसाणा पण्णत्ता। २६ प्रश्न-ते णं भंते ! किं पसत्था, अप्पसत्था ? २६ उत्तर-गोयमा ! पसत्था, णो अप्पसत्था। कठिन शब्दार्थ-कयरम्मि-किस, वइरोसहणारायसंघयणे-वज्रऋषभनाराच संहनन, संठाणे-आकार में, उच्चत्ते-उच्चत्व-ऊँचाई, सत्तरयणोए-सात हाथ, पसत्था-प्रशस्त (अच्छे)। भावार्थ-१७ प्रश्न-हे भगवन् ! वह किस संहनन में होता है ? १७ उत्त-हे गौतम ! वह वज्रऋषभनाराच संहनन वाला होता है। १८ प्रश्न-हे भगवन् ! वह किस संस्थान में होता है ? . १८ उत्तर-हे गौतम! वह छह संस्थानों में से किसी भी संस्थान में होता है। .१९ प्रश्न-हे भगवन् ! वह अवधिज्ञानी कितनी ऊँचाई वाला होता है? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy