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________________ भगवती सूत्र-य. ९ उ. ३१ असोच्चा-लेश्या ज्ञान योगादि १५०० १९ उत्तर--हे गौतम ! वह जघन्य सात हाथ और उत्कृष्ट पांच सौ धनुष की ऊँचाई वाला होता है। २० प्रश्न-हे भगवन् ! वह कितनी आयुष्य वाला होता है ? २० उत्तर-हे गौतम ! जघन्य साधिक आठ वर्ष और उत्कृष्ट पूर्व कोटि आयुष्य वाला होता है २१ प्रश्र-हे भगवन् ! वह सवेदी होता है, या अवेदी ? २१ उत्तर-हे गौतम ! वह सवेदी होता है, अवेदी नहीं होता। २२ प्रश्न-हे भगवन ! यदि वह सवेदी होता है, तो क्या स्त्री-वेदी होता है, पुरुष-वेदी होता है, नपुंसक-वेदी होता है, या पुरुषनपुंसक-वेदी होता है ? २२ उत्तर-हे गौतम ! स्त्रीवेदी नहीं होता, पुरुषवेदी होता है, नपुंसकवेदी नहीं होता, किन्तु पुरुषनपुंसकवेदी होता है। ___ २३ प्रश्न-हे भगवन् ! वह अवधिज्ञानी सकषायी होता है, या अकषायो ? - २३. उत्तर-हे गौतम ! वह सकषायो होता है, अकषायी नहीं होता। २४ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वह सकषायी होता है, तो वह कितने कषाय वाला होता है ? - २४ उत्तर-हे गौतम ! वह संज्वलन क्रोध, मान, माया और लोभइन चार कषायों वाला होता है। २५ प्रश्न-हे भगवन् ! उसके कितने अध्यवसाय होते हैं ? २५ उत्तर-हे गौतम ! उसके असंख्यात अध्यवसाय होते हैं। २६ प्रश्न-हे भगवन् ! वे अध्यवसाय प्रशस्त होते हैं, या अप्रशस्त ? २६ उत्तर-हे गौतम ! प्रशस्त होते हैं, अप्रशस्त नहीं होते। २७ से णं भंते ! तेहिं पसत्येहिं अज्झवसाणेहिं वड्ढमाणेहिं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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