SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 427
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र - श. १२ उ. १ श्रमणोपासक शंख पुष्कली ११ प्रश्न - 'भंते!' त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदन णमंस, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी – कइविहा णं भंते ! जागरिया पण्णत्ता ? ११ उत्तर - गोयमा ! तिविहा जागरिया पण्णत्ता, तं जहाबुद्धजागरिया अबुद्धजागरिया सुदक्खुजागरिया | प्रश्न - से केणट्टेणं भंते ! एवं वुह - तिविहा जागरिया पण्णत्ता, तं जहा - बुद्धजागरिया, अबुद्धजागरिया, सुदक्खुजागरिया ? उत्तर - गोयमा ! जे इमे अरिहंता भगवंतो उप्पण्णणाण-दंसणधरा जहा खंदए जाव सव्वष्णू सव्वदरिसी, एए णं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरंति । जे इमे अणगारा भगवंतो ईरियासमिया भासासमिया जाव गुत्तबंभचारी एए णं अबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरंति । जे इमे समणोवासगा अभिगयजीवाजीवा जाव विहरंति, एए णं सुदक्खुजागरियं जागरंति, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुबह 'तिविहा जागरिया जाव सुदक्खुजागरिया' । १९८२ कठिन शब्दार्थ - जागरिया — जागरणा । भावार्थ - ११ प्रश्न - 'हे भगवन् !' इस प्रकार कह कर भगवान् गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान् महावीर स्वामी को वन्दना नमस्कार करके इस प्रकार पूछा - "हे भगवन् ! जागरिका कितने प्रकार की कही गई है ?" ११ उत्तर - हे गौतम! जागरिका तीन प्रकार की कही गई बुद्धजागरिका, अबुद्धजागरिका और सुदर्शनजागरिका । 1 यथा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy