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________________ १५९६ १५ प्रश्न - जइ सयोगी होज्जा, किं मणजोगी होजा, वड़जोगी होजा, कायजोगी होज्जा ? १५ उत्तर - गोयमा ! मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होना । १६ प्रश्न - से णं भंते ! किं सांगारोवउत्ते होज्जा, अणागारोवउत्ते. वा होज्जा ? १६ उत्तर - गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होज्जा, अणागारोवउत्ते वा होजो । कठिन शब्दार्थ - सागारोवउत्ते- साकार (ज्ञान) उपयोगवाला, अणागारोवउत्तेअनाकार (दर्शन) उपयोगवाला । भावार्थ-१२ प्रश्न-हे भगवन् ! वह अवधिज्ञानी, कितनी लेश्याओं में होता है ? १२ उत्तर - हे गौतम! तीन विशुद्ध लेश्याओं में होता है । यथा-१ तेजोलेश्या, २ पद्मलेश्या और ३ शुक्ललेश्या । १३ प्रश्न - हे भगवन् ! वह अवधिज्ञानी, कितने ज्ञान में होता है ? १३ उत्तर - हे गौतम ! १ आभिनिबोधिकज्ञान, २ श्रुतज्ञान और ३ अवधिज्ञान, इन तीन ज्ञानों में होता है । १४ प्रश्न - हे भगवन् ! वह अवधिज्ञानी, सयोगी होता है, या अयोगी ? भगवती सूत्र - श. ९ उ. ३१ असोच्चा-श्या ज्ञान योगादि १४ उत्तर - हे गौतम ! वह सयोगी होता है, अयोगी नहीं होता । १५ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि वह सयोगी होता है, तो क्या मनयोगी होता है, वचनयोगी होता है, या काययोगी होता है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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