________________
- भगवती मूत्र-श. ११ उ. ११ महाबल चरित्र
आणिल्लियाणं अटण्हं रायवरकण्णाणं एगदिवसेणं पाणिं गिण्हा. विसु ।
कठिन शब्दार्थ -पमक्खणग-अभ्यञ्जन (विलेपन)।
भावार्थ-३१-शुभ तिथि, करण, दिवस, नक्षत्र और मुहूर्त में महाबल कुमार को स्नानादि करदा कर अलंकारों से अलंकृत एवं विभूषित किया । फिर सधवा स्त्रियों के द्वारा अभ्यंगन, विलेपन, मण्डन, गीत, तिलक आदि मांगलिक कार्य किये गये । तत्पश्चात् समान त्वचा वाली, समान उम्र वाली, समान रूप, लावण्य, यौवन और गुणों से युक्त एवं समान राजकुल से लाई हुई उत्तम आठ राजकन्याओं के साथ एक ही दिन में पाणिग्रहण करवाया गया।
३२-तएणं तस्स महावलस्स कुमारस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं पीइदाणं दलयंति, तंजहा-अट्ठ हिरण्णकोडीओ, अट्ठ सुवष्णकोडीओ, अट्ठ मउडे मउडप्पवरे, अट्ठ कुंडलजुए कुंडलजुयप्पवरे, अट्ठ हारे हारप्पवरे, अट्ट अद्भहारे अद्धहारप्पवरे, अट्ट एगावलीओ एगा. वलिप्पवराओ, एवं मुत्तावलीओ, एवं कणगावलीओ, एवं रयणा. वलीओ, अट्ट कडगजोए कडगजोयप्पवरे, एवं तुडियजोए, अट्ट खोमजुयलाई खोमजुयलप्पवराई, एवं वडगजुयलाई, एवं पट्टजुयलाई, एवं दुगुल्लजुयलाई अट्ट सिरीओ, अट्ठ हिरीओ, एवं धिईओ, कित्तीओ, बुद्धीओ, लच्छीओ, अट्ठ णंदाई, अट्ट भद्दाई, अट्ठ तले तलप्पवरे, सव्वरयणामए, णियगवरभवणकेऊ अट्ट झए झयप्पवरे, अट्ट वये क्यप्पवरे, दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अट्ठ णाडगाई णाड
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org