SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 369
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९२४ भगवती सूत्र-श. ११ उ. ११ महाबल चरित्र हत्थिणापुरे णामं जयरे होत्था, वण्णओ । सहसंबवणे उज्जाणे, वण्णओ । तत्थ णं हत्थिणापुरे णयरे वले णामं राया होत्था, वण्णओ । तस्स णं बलस्स रण्णो पभावई णामं देवी होत्था । सुकुमाल० वण्णओ जाव विहरइ । तएणं सा पभावई देवी अण्णया कयाइ तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अभिंतरओ सचित्तकम्मे, बाहिरओ दूमिय-घट्ठ-मटे, विचित्तउल्लोय-चिल्लियतले, मणि-रयणपणासियंधयारे, बहुसम-सुविभत्तदेसभाए, पंचवण्ण-सरस-सुरभिमुक्कपुप्फपुजोवयारकलिए, कालागरुपवर कुंदुरुस्क-तुरुक्कधूघमघमघंतगंधुद्धयाभिरामे, सुगंध-वरगंधिए, गंधवट्टिभूए तंसि तारिसगंसि सयणिजंसि सालिंगणवट्टिए, उभओविब्बोयणे, दुहओ उण्णए, मज्झे णय-गंभीरे, गंगा-पुलिण-वालुय-उद्दालसालिसए, उवचियखोमिय-दुगुल्लपट्टपडिच्छायणे, सुविरइयरयत्ताणे, रत्त-सुय-संवुए, सुरम्मे, आइणग-रूय बुर-णवणीय तूलफासे, सुगंध-वरकुसुम-चुण्णसयणोवयारकलिए, अद्धरत्तकालसमयंसि सुत्त जागरा ओहोरमाणी ओहीरमाणी अयमेयारूवं ओरालं, कल्लाणं, सिवं, धण्णं, मंगल्लं सस्सिरियं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुद्धा । कठिन शब्दार्थ-उल्लोग-उल्लोक-उपरिभाग, चिल्लियतले-प्रकाशित अधोभागवाला, खएइ-क्षप होता है, अवचएइ-अपचय होता है, सचित्तकम्मे-चित्र कर्म वाले, दूमिय-धवल, घटुमठे-घिसकर मुलायम किये, मणिरयणपणासियंधयारे-मणि और रत्नों के प्रकाश से अन्धकार रहित, सालिंगणवट्टिए-तकिये सहित, उमओविब्बोयणे-दोनों ओर तकिये रखे हुए, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy