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भगवती सूत्र-श. ११ उ. ११ सुदर्शन सेठ के काल विषयक प्रश्नोत्तर
भवंति ?
७ उत्तर-हंता, अस्थि । ८ प्रश्न-कया णं भंते ! दिवसा य राईओ य समा चेव भवंति ?
८ उत्तर-सुदंसणा ! चित्ता-सोयपुण्णिमासु णं एत्थ णं दिवसा य राईओ य समा चेव भवंति, पण्णरसमुहुत्ते दिवसे पण्णरसमहत्ता राई भवइ । चउभागमुहुत्तभागूणा चउमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ । सेत्तं पमाणकाले।
___भावार्थ-६ प्रश्न-अठारह मुहूर्त का उत्कृष्ट दिवस और बारह महतं की जघन्य रात्रि कब होती है ? तथा अठारह मुहूर्त की उत्कृष्ट रात्रि और बारह मुहूर्त का जघन्य दिवस कब होता है ?,
६ उत्तर-हे सुदर्शन ! आषाढ़ की पूर्णिमा को अठारह मुहूर्त का उत्कृष्ट दिवस तथा बारह मुहुर्त की जघन्य रात्रि होती है । पौष मास की पूर्णिमा को अठारह मुहूर्त की उत्कृष्ट रात्रि तथा बारह मुहूर्त का जघन्य दिन होता है।
७ प्रश्न-हे भगवन् ! दिवस और रात्रि ये दोनों समान भी होते हैं ? ७ उत्तर-हाँ, सुदर्शन ! होते हैं। ८ प्रश्न-हे भगवन् ! दिवस और रात्रि-ये दोनों समान कब होते हैं ?
८ उत्तर-हे सुदर्शन ! चैत्र की पूर्णिमा और आश्विन की पूर्णिमा को दिवस और रात्रि दोनों बराबर होते हैं। उस दिन पन्द्रह मुहुर्त का दिवस तथा पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि होती है और दिवस एवं रात्रि की पौने चार मुहूर्त की पौरुषी होती है । इस प्रकार प्रमाण काल कहा गया है। .
विवेचन-जिससे दिवस, वर्ष आदि का प्रमाण जाना जाय, उसे 'प्रमाण काल' कहते हैं।
यहां अषाढ़ी पूर्णिमा को अठारह मुहूर्त का दिवस और पाप पूर्णिमा को अठारह महतं की रात्रि बतलाई गई है । यह पांच संवत्सरं परिमाण युग के अन्तिम वर्ष की अपेक्षा
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