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१९१८
भगवती सूत्र-श. ११ उ. ११ सुदर्शन सेठ के काल विषयक प्रश्नोत्तर
भागेणं परिहायमाणी परिहायमाणी जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ । जया णं. जहणिया तिमुहुत्ता दिव. सस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तया णं बावीससयभागमहत्तभागेणं परिवड्ढमाणी परिवड्ढमाणी उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ।
५ प्रश्न-कया णं भंते ! उनकोसिया अद्धपंचममुहत्ता दिवसरस वारा ईए वा पोरिसी भवइ, कया वा जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ?
५ उत्तर-सुदंसणा ! जया णं उनकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहत्ता राई भवइ तया णं उनकोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ, जहणिया तिमुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ । जया णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्तिया राई भवइ, जहण्णिए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जहणिया तिमुहुत्ता दिवसरस पोरिसी भवइ ।
कठिन शब्दार्थ-जया णं-जब, कया णे-कव ।
भावार्थ-४ प्रश्न-हे भगवन् ! जब दिवस की अथवा रात्रि की पौरुषी उत्कृष्ट साढ़े चार मुहूर्त को होती है, तब उस मुहूर्त का कितना भाग घटते-घटते (कम होते हुए) दिवस और रात्रि की जघन्य तीन मुहूर्त की पौरुषी होती है, और जब दिवस अथवा रात्रि की पौरुषी जघन्य तीन मुहर्त की होती है, तब
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