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________________ भगवती सूत्र-शः ११ उ. ११गुरशर सेट के काल. विषयक प्रश्नोत्तर . १९१७ राइप्पमाणकाले य । चउपोरिसिए दिवसे चउपोरिसिया राई भवइ । उक्कोसिआ अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्त वा राईए वा पोरिसी भवड् । भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! काल कितने प्रकार का कहा है ? २ उत्तर-हे सुदर्शन ! काल चार प्रकार का कहा है । यथा-१ प्रमाण काल, २ यथायुनिर्वृत्ति काल, ३ मरण काल और ४ अद्धा काल । ३ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रमाण काल कितने प्रकार का कहा है ? ३ उत्तर-हे सुदर्शन ! प्रमाण काल दो प्रकार का कहा है । यथा-दिवसप्रमाण काल और रात्रि प्रमाणकाल । चार पौरुषी (प्रहर) का दिवस होता है और चार पौरुषी की रात्रि होती है । दिवस और रात्रि की पौरुषी उत्कृष्ट साढ़े चार मुहूर्त की और जघन्य तीन मुहूर्त की होती है। ४ प्रश्न-जया णं भंते ! उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसरस वा राईए वा पोरिसी भवइ, तया णं कहभागमुहत्तभागेणं परिहाय. माणी परिहायमाणी जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? जया णं जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तया गं कहभागमुहत्तभागेणं परिवड्ढमाणी परिवड्ढमाणी उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? . ४ उत्तर-सुदंसणा ! जया णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया णं वावीससयभागमुहत्त Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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