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________________ भगवती सूत्र-शं. ११ उ. १० लोकं के द्रव्यादि भेद १८६० २ प्रश्न-खेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? २ उत्तर-गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-१ अहोलोयखेत्तलोए २ तिरियलोयखेत्तलोए ३ उड्ढलोयखेत्तलोए । ३ प्रश्न-अहोलोयखेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? ३ उत्तर-गोयमो ! सत्तविहे पण्णत्ते, तंजहा-रयणप्पभापुढवि. अहोलोयखेत्तलोए, जाव-अहेसत्तमापुढविअहोलोयखेत्तलोए । ४ प्रश्न-तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? ४ उत्तर-गोयमा ! असंखेज्जविहे पण्णत्ते, तंजहा-जंबुद्दीवे दीवे तिरियलोयखेत्तलोए, जाव-सयंभूरमणसमुद्दे तिरियलोयखेत्तलोए। ५ प्रश्न-उड्ढलोयखेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? ५ उत्तर-गोयमा ! पण्णरसविहे पण्णत्ते, तंजहा-सोहम्मकप्पउड्ढलोयखेत्तलोए, जाव-अच्चुयउड्ढलोए, गेवेज्जविमाणउलोए, अणुत्तरविमाण० ईसिपव्भारपुढविउड्ढलोयखेत्तलोए । कठिन शब्दार्थ-ईसिपन्भारपुढवी-ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी-सिद्ध-शिला। भावार्थ-१ प्रश्न-राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा--'हे भगवन् ! लोक कितने प्रकार का कहा गया है ?' १ उत्तर-हे गौतम ! लोक चार प्रकार का कहा गया है । यथा-- १ द्रव्य लोक, २ क्षेत्र लोक, ३ काल लोक और ४ भाव लोक । २ प्रश्न-हे भगवन् ! क्षेत्र-लोक कितने प्रकार का कहा गया है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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