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भगवती सूत्र - श. ११ उ. ९ राजर्षिनिव का वृत्तांत
यावेs, णिसियावेत्ता अनुसरणं सोवण्णियाणं कलसाणं जावअट्टमरणं भोज्जाणं कलसाणं सव्विड्डीए जाव - खेणं महया महया रायाभिसेगेणं अभिसिंचति, म० म० पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गंधकासाईए गाया लहेड, पम्हल० सरसेणं गोसीसेणं एवं जहेब जमालिस अलंकारो तहेव जाव - कप्परुस्वगं विव अलंकियविभूतियं करेs, करिता करयल० जाव - कट्टु सिवभद्दं कुमारं - जणं विजएणं वद्धावेंति, जपणं विजएणं वद्धावित्ता ताहिं इट्टाहिं कंताहिं पियाहिं जहा उववाइए कुणियस्स जाव - परमाउं पालयाहि. इजण संपरिवुडे हत्थणा उरस्स णयरस्स अण्णेसिं च बहूणं गामागरणय रं० जाव विहराहि' ति कट्टु जयजयसहं परंजंति । तएवं से विभद्दे कुमारे राया जाए । महया हिमवंत० वण्णओ जावविहरs |
कठिन शब्दार्थ - णिसियावेइ-बिठाया ।
भावार्थ- ३ - इस प्रकार विचार करके दूसरे दिन प्रातः काल सूर्योदय होने पर अनेक प्रकार की लोढ़ियाँ, लोह कड़ाह आदि तापस के उपकरण तैयार करवा कर, अपने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाया और इस प्रकार कहा - 'हे देवानुप्रियो ! हस्तिनापुर नगर के बाहर और भीतर जल का छिड़काव करके शीघ्र स्वच्छ कराओ,' इत्यादि यावत् उन्होंने राजा की आज्ञानुसार कार्य करवा कर राजा को निवेदन किया। इसके बाद शिव राजा ने उनसे कहा कि - 'हे देवानुप्रियो ! शिवभद्र कुमार के राज्याभिषेक की शीघ्र तैयारी करो ।' कौटुम्बिक पुरुषों द्वारा राज्याभिषेक की तैयारी हो जाने पर शिवराजा ने अनेक गण-नायक, दण्ड-नायक यावत्
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