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भगवती मूत्र-श. ११ उ. ! उपन्य के जीव
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मगा वा, अहया उस्सासए य णिस्सासए य, अहवा उस्सासए य णोउस्सासणिस्मासए य, अहवा णिस्सासए य णोउस्सासणिरसासए य; अहवा उस्सासए य णिस्सासए य गोउस्मासणिस्सासए य । अट्ठ भंगा । एए छवोसं भंगा भवंति।
२० प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा किं आहारगा अणाहारगा ?
२० उत्तर-गोयमा ! णो अणाहारगा, आहारए वा, ,अणाहारए वा एवं अट्ट भंगा ।
कठिन शब्दार्य-सागारोवउत्ता-साकागेपयुक्न-ज्ञानोपयोग महित. अणागारोवउत्ता-अनाकारोपयुक्त-दर्शनोपयोग सहित ।।
भावार्थ-१७ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव साकारोपयोग (ज्ञानोपयोग) वाले हैं या अनाकारोपयोग (दर्शनोपयोग) वाले है ? : १७ उत्तर-हे गौतम ! एक जीव साकारोपयोग वाला है अथवा एक जीव अनाकारोपयोग वाला है । इत्यादि पूर्वोक्त आठ भंग कहना चाहिये।
१८ प्रश्न-हे भगवन् ! उन उत्पल के जीवों का शरीर कितने वर्ण, कितने गन्ध, कितने रस और कितने स्पर्श वाला है ?
१८ उत्तर-हे गौतम ! पाँच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाला है । जीव स्वयं वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श रहित है।
१९ प्रश्न-हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव उच्छ्वासक हैं, निःश्वासक है, या अनुच्छ्वासकनिश्वासक हैं ?
१९ उत्तर-हे गौतम ! १ एक जीव उच्छ्वासक है, या २ एक जीव निश्वासक है, ३ या एक जीव अनुच्छ्वासकनिश्वासक है, ४ या अनेक जीव उच्छ्वासक हैं, ५ या अनेक जीव निःश्वासक हैं, ६ या अनेक जीव अनुच्छ्वासकनिश्वासक हैं, (७-१०) अथवा एक उच्छ्वासक और एक
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