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भगवती सूत्र - श. ११ उ, १ उत्पल के जीव
१२ प्रश्न - - ते णं भंते! जीवा णाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं दरगा अणुदीरगा ?
१२ उत्तर - गोयमा ! णो अणुदीरगा, उदीरए वा उदीरगा वा । एवं जाव अंतराइयस्स | णवरं वेयणिज्जा उएसु अट्ठ भंगा ।
कठिन शब्दार्थ - साथ|वेयगा सातावेदक - सुख का अनुभव करने वाले ।
भावार्थ - ७ प्रश्न - हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव, ज्ञानावरणीय कर्म के बंधक हैं या अबन्धक ?
७ उत्तर - हे गौतम! वे ज्ञानावरणीय कर्म के अबन्धक नहीं, बंधक हैं । एक जीव हो, तो एक बंधक है और अनेक जीव हों, तो अनेक बंधक हैं । इस प्रकार आयुष्य को छोड़कर अन्तराय कर्म तक समझना चाहिये ।
८ प्रश्न - हे भगवन् ! वे जीव, आयुष्यकर्म के बन्धक हैं या अबन्धक ? ८ उत्तर - हे गौतम ! उत्पल का एक जीव बंधक है, . २ एक जीव्र अबंधक है, ३ अनेक जीव बंधक हैं, ४ अनेक जीव अबन्धक हैं । ५ अथवा एक जीव बन्धक और एक जीव अबन्धक है, ६ अथवा एक बन्धक और अनेक अबन्धक हैं, ७ अथवा अनेक बन्धक और एक अबन्धक हैं, ८ अथवा अनेक बन्धक और अनेक अबन्धक हैं, - इस प्रकार ये आठ भंग होते हैं ।
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९ प्रश्न - हे भगवन् !. वे उत्पल के जीव ज्ञानावरणीय कर्म के वेदक हैं, या अवेदक हैं ?
९ उत्तर - हे गौतम! वे अवेदक नहीं, वेदक हैं। एक जीव हो तो एक जीव वेदक है और अनेक जीव हो, तो अनेक जीव वेदक हैं । इसी प्रकार यावत् अन्तराय कर्म तक जानना चाहिये ।
१० प्रश्न - हे भगवन् ! वे उत्पल के जीव सातावेदक हैं या असाता
बेवक हैं ?
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१० उत्तर - हे गौतम ! एक जीव साता-वेदक है या एक जीव असाता
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