SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र - श. १० उ. ६ शक्रेन्द्र की सभा एवं ऋद्धि के कितनी अग्रमहिषियां कही गई हैं ? २९ उत्तर- हे आर्यो ! चार अग्रमहिषियां कही हैं। यथा- पृथ्वी, रात्रि, रजनी और विद्युत् । शेष वर्णन शक्र के लोकपालों के समान है । इसी प्रकार यावत् वरुग तक जानना चाहिये परन्तु विमानों का वर्णन चौथे शतक के पहले दूसरे तीसरे और चौथे उद्देशक के उल्लेखानुसार जानना चाहिये शेष पूर्ववत् यावत् वह मैथुन-निमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं हैं । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैऐसा कहकर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं । Jain Education International १८३९ विवेचन - वैमानिक देवों में केवल पहले और दूसरे देवलोक तक ही देवियाँ उत्पन्न होती हैं । इसलिये यहाँ पहले और दूसरे देवलोक के इन्द्र तथा उनके लोकपाल आदि की अग्रमहिषियों का वर्णन किया गया है । ॥ दश शतक का पाँचवाँ उद्देशक सम्पूर्ण || शतक १० उद्देशक शक्रेन्द्र की सभा एवं ऋद्धि १ प्रश्न - कहि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सभा सुहम्मा पण्णत्ता ? १ उत्तर - गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमी. रयणप्पभाए एवं जहा रायप्पसेणइज्जे, जाव पंच वडेंसगा For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy