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भगवती सूत्र-श. १० उ. ५ ईशानेन्द्र का परिवार
प्रत्येक देवी का सोलह हजार देवियों का परिवार है। इनमें से प्रत्येक देवी, ' दूसरी सोलह हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा कर सकती है । इसी प्रकार पूर्वापर मिलाकर एकलाख अट्ठाईस हजार देवियों के परिवार की विकुर्व गा कर सकती हैं। यह एक त्रुटिक कहा गया है ।
____ २६ प्रश्न-हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र, सौधर्म देवलोक के सौधर्मावतंसक विमान में, सुधर्मा सभा में, शक्र नामक सिंहासन पर बैठकर उस त्रुटिक के साथ भोग भोगने में समर्थ है ?
२६ उत्तर-हे आर्यो ! इसका सभी वर्णन चमरेन्द्र के समान जानना चाहिये, परन्तु इसके परिवार का वर्णन तीसरे शतक के प्रथम उद्देशक में कहे अनुसार जानना चाहिये।
२७ प्रश्न-हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक के लोकपाल सोन महाराजा के कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं।
२७ उत्तर-हे आर्यों ! चार अग्रमहिषियों कही गई हैं । यथा-रोहिणी, मदना, चित्रा और सोमा। इनमें से प्रत्येक देवी के परिवार का वर्णन चनरेन्द्र के लोकपालों के समान जानना चाहिये, परन्तु इतनी विशेषता है कि स्वयंप्रभ नामक विमान में, सुधर्मासभा में सोम नामक सिंहासन पर बैठकर यावत् भोग भोगने में समर्थ नहीं, इत्यादि पूर्ववत् जानना चाहिये। इसी प्रकार यावत् वैश्रमण तक जानना चाहिये, परन्तु उसके विमान आदि का वर्णन तृतीय शतक के सातवें उद्देशक में कहे अनुसार जानना चाहिये ।
२८ प्रश्न-हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज ईशान के कितनी अग्रमहिषियां कही गई हैं ?
२८ उत्त, दे आर्यो ! आठ अग्रमहिषियां कही गई हैं। यथा-कृष्णा, कृष्णराजि, राना, रामरक्षिता, वसु, वसुगुप्ता, वसुमित्रा और वसुन्धरा । इन देवियों के परिवार आदि का वर्णन शक्रेन्द्र के समान जानना चाहिये ।
२९ प्रश्न-हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज ईशान के सोम नामक लोकपाल
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