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भगवती सूत्र - श. १० उ. ५ ज्योतिषेन्द्र का परिवार
एगमेगाए देवीए सेसं तं चैव चंदरस णवरं इंगालवर्डेसए विमाणे, इंगालगंसि सीहासणंसि, सेसं तं चैव, एवं वियालगस्स वि । एवं अट्टासीतीए वि महागहाणं भाणियव्वं जाव भावकेउस्स, णवरं वडेंसगा सीहासणाणि य सरिसणामगाणि, सेसं तं चेव ।
कठिन शब्दार्थ- मेहुणवत्तियं मैथुन निमित्तक ।
भावार्थ - २३ प्रश्न - हे भगवन् ! ज्योतिषीन्द्र ज्योतिषीराज चन्द्र के कितनी अग्रमहिषियां कही गई हैं ?
२३ उत्तर - हे आर्यो ! चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। यथा-चन्द्रप्रभा, ज्योत्स्नाभा, अचिमाली और प्रभंकरा, इत्यादि जीवाभिगम सूत्र की तीसरी प्रतिपत्ति के 'ज्योतिषी' नामक दूसरे उद्देशक में कहे अनुसार जानना चाहिये । इसी प्रकार सूर्य के विषय में भी जानना चाहिये । सूर्य के चार अग्रमहिषियों के नाम ये हैं - सूर्यप्रमा, आतपाभा अचिमाली, और प्रभंकरा, इत्यादि पूर्वोक्त सब कहना चाहिये, यावत् वे अपनी राजधानी में सिहासन पर मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं हैं ।
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२४ प्रश्न - हे भगवन् ! अंगार नामक महाग्रह के कितनी अग्रमहिषियों कही गई हैं ?
२४ उत्तर - हे आर्यो ! चार अग्रमहिषियों कही गई हैं। यथा-विजया, वैजयन्ती, जयन्ती और अपराजिता । इनकी प्रत्येक देवी के परिवार का वर्णन चन्द्रमा के समान जानना चाहिये, परन्तु इतनी विशेषता है कि इसके विमान का नाम अंगारावतंसक और सिंहासन का नाम अंगारक है । इसी प्रकार व्याल नाक ग्रह के विषय में भी जानना चाहिये। इसी प्रकार ८८ महाग्रहों के विषय में यावत् भावकेतु ग्रह तक जानना चाहिये । परन्तु अवतंसक और सिहासन का नाज इन्द्र के समान है, शेष वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिये ।
: विवेचन- यहाँ ज्योतिषी देवों के इन्द्र, चन्द्र और सूर्य तथा ८८ महाग्रहों की अग्र
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