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________________ भगवती मूद्ध-१० उ. ? अश्व की खु-वु ध्वनि और भाषा के भेद १८०७ यकृत् के बीच में कर्कट नामक वायु उत्पन्न होती है, इससे दौड़ता हुआ घोड़ा 'खु-खु' शब्द करता है। १५ प्रश्न-अह भंते ! आसइम्सामो, सइस्समो, चिट्ठिस्सामो, णिसिइस्सामो, तुयट्टिस्सामो "आमंतणी आणवणी जायणी तह पुच्छणी य पण्णवणी । पञ्चखाणी भासा, भासा इच्छाणुलोमा य॥ अणभिग्गहिया भासा भासा य, अभिग्गहम्मि बोद्धव्वा । संसयकरणी भासा, वोयडमव्वोयडा चेव” ॥ पण्णवणी णं एसा भामा, ण एसा भासा मोसा ? हंता, गोयमा ! आसइस्सामो, तं चेव · जाव ण एसा भासा मोसा। * सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॐ ॥ दसमे सए तईओ उद्देसो सभत्तो ॥ कठिन शब्दार्थ-आसइस्सामो-आश्रय करेंगे, सइस्सामो-शयन करेंगे, चिट्ठिस्सामोखड़े रहेंगे, णिसिइस्सामो-वैठेंगे, तुयट्टिस्सामो-लेटेंगे, आमंतणी-आमन्त्रणदेनेवाली, आणवणी-आज्ञापनी, जायणी- याचना करने वाली, इच्छाणुलोमा-इच्छानुलोमा, वोयडमब्योयडाव्याकृता अव्याकृता। ___ भावार्थ-१५ प्रश्न-हे भगवन् ! १ आमन्त्रणी, २ आज्ञापनी, ३ याचनी, ४ पृच्छनी, ५ प्रज्ञापनी, ६ प्रत्याख्यानी, ७ इच्छानुलोमा, ८ अनभिगृहीता, ९ अभिगृहीता, १० संशयकरणी, ११ व्याकृता और १२ अव्याकृता, इन बारह Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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