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________________ भगवती सूत्र-दा. १० उ. ३ देवों के मध्य में होकर निकलने की क्षमता १८.५ १० प्रश्न-हे भगवन् ! अल्पऋद्धिक देव, महद्धिक देवी के मध्य में होकर जा सकता है ? १० उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं। ११ प्रश्न-हे भगवन् ! समऋद्धिक देव, समऋद्धिक देवी के मध्य में होकर जा सकता है ? ११ उत्तर-हे गौतम ! पूर्वोक्त प्रकार से देव के साथ देवी का भी दण्डक कहना चाहिये, यावत् वैमानिक पर्यंत इसी प्रकार कहना चाहिये। १२ प्रल्न-हे भगवन् ! अल्पऋद्धिक देवी, महद्धिक देव के मध्य में कर जा सकती है ? १२ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं, इस प्रकार यहाँ तीसरा दण्डक कहना चाहिये, यावत् (प्रश्न) हे भगवन् ! महद्धिक वैमानिक देवी, अल्पऋद्धिक वैमानिक देव के बीच में से निकलकर जा सकती है ? (उत्तर) हाँ, गौतम ! जा सकती है। १३ प्रश्न-हे भगवन् ! अल्पऋद्धिक देवी महद्धिक देवी के मध्य में से चलकर जा सकती है ? . १३ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं । इस प्रकार समऋद्धिक देवी का, समऋद्धिक देवी के साथ तथा महद्धिक देवी का, अल्पऋद्धिक देवी के साथ,उपर्युक्त रूप से आलापक कहना चाहिये । इस प्रकार एक-एक के भी तीन-तीन आलापक कहना चाहिये, यावत् (प्रश्न) हे भगवन् ! महद्धिक वनानिक देवी, अल्पऋद्धिक वैमानिक देवी के मध्य में होकर जा सकती है ? (उत्तर) हाँ गौतम ! जा सकती है, यावत् (प्रश्न) हे भगवन् ! क्या वह महद्धिक देवी, उसे विमोहित करके जो सकती है, अथवा विमोहित किये बिना जा सकती है, तथा पहले विमोहित करके पीछे जाती है, अथवा पहले जाकर पीछे विमोहित करती है ? (उत्तर) हे गौतम ! पूर्वोक्त रूप से जानना चाहिये, यावत् 'पहले जाती है और पीछे भी विमोहित करती है,' तक कहना चाहिये । इस प्रकार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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