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________________ १७९० भगवती सूत्र-श. १० उ. १ शरीर . . शरीर ९ प्रश्न-कह णं भंते ! सरीरा पण्णत्ता ? ९ उत्तर-गोयमा ! पंच सरीरा, पण्णत्ता, तं जहा-१ ओरा. लिए जाव ५ कम्मए । १० प्रश्न-ओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? १० उत्तर-एवं ओगाहणासंठाणं गिरवसेसं भाणियव्वं, जाव । 'अप्पाबहुगं' ति। • सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति - - - ॥दसमसए पढमो उद्देसो समत्तो ॥ कठिन शब्दार्थ-ओरालिए-औदारिक शरीर ।। भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! शरीर कितने प्रकार के कहे गये है ? ९ उत्तर-हे गौतम ! शरीर पांच प्रकार के कहे गये हैं। यथा-औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तेजस् और कार्मण । .. . १० प्रश्न-हे भगवन् ! औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? . १० उत्तर-हे गौतम ! यहां प्रज्ञापना सूत्र के अवगाहना संस्थान नामक इक्कीसवें पद में वर्णित अल्प-बहुत्व तक सारा वर्णन कहना चाहिये। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैऐसा कहकर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं। विवेचन-औदारिक आदि पांच शरीर हैं । इनका संस्थान, प्रमाण, पुद्गल चय, पारस्परिक संगो अल-बहुत्व इन द्वारों से विस्तृत वर्णन प्रज्ञापना सूत्र के इक्कीसवें अवगाहना संस्थान पद में है । अल-बहुल्व तक का सारा वर्णन यहां कहना चाहिये । ॥ दसवें शतक का प्रथम उद्देशक सम्पूर्ण ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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