SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 217
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७७२ भगवती सूत्र-श. ५ उ. ३४ पुरुष और नोपुरुप का चातक २ उत्तर-गोयमा ! आसं पि हणइ, णोआसे वि हणइ । प्रश्न-से केणटेणं ? उत्तर-अट्ठो तहेव, एवं हत्थिं, सीहं, वग्धं जाव चित्तलगं । एए सव्वे इक्कगमा । ३ प्रश्न-पुरिसे णं भंते ! अण्णयरं तसं पाणं हणमाणे किं अण्णयरं तसं पाणं हणइ, णोअण्णयरे तसे पाणे हणइ ? . ३ उत्तर-गोयमा ! अण्णयरं पि तसं पाणं हणइ, णोअण्णयरे वि तसे पाणे हणइ । प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अण्णयरं पि तसं पाणं हणइ, णोअण्णयरे वि तसे पाणे हणइ । ___ उत्तर-गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ एवं खलु अहं एगं अण्णयरं तसं पाणं हणामि, से णं एगं अण्णयरं तसं पाणं हणमाणे अणेगे जीवे हणइ, से तेणटेणं गोयमा ! तं चेव । एए सव्वे वि एक्कगमा । कठिन शब्दार्थ-आसं-घोड़े को, चित्तलगं-चित्रल-एक जंगली जानवर विशेष, इक्कगमा-एक समान पाठ। भावार्थ-१ प्रश्न-उस काल उस समय में राजगृह नगर था। वहां गौतम स्वामी ने भगवान् से इस प्रकार पूछा-“हे भगवन् ! कोई पुरुष, पुरुष की घात करता हुआ, क्या पुरुष को ही घात करता है, अथवा नोपुरुष (पुरुष के सिवाय दूसरे जीवों) की घात करता है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy