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भगवती सूत्र-श. ५. उ. ३४ पुरुष और नोपुरुष का घातक
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और प्रतिक्रमण किये बिना ही काल करने के कारण किल्विषिक देवों में उत्पन्न हुआ। वहां मे चवकर नियंत्र, मनुष्य और देव के चार पांच भव कर के सिद्ध, बुद्ध यावत् मुक्त होगा।
॥ नौवें शतक का तेतीसवां उद्देशक सम्पूर्ण ॥
शतक उद्देशक ३४
पुरुष और नापुरुष का घातक
१ प्रश्न-तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासीपुरिसे णं भंते ! पुरिसं हणमाणे किं पुरिसं हणइ, णोपुरिसे
हणइ?
१ उत्तर-गोयमा ! पुरिसं पि हणइ, णोपुरिसे वि हणइ ।
प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-पुरिसं पि हणइ, जाव णोपुरिसे वि हणइ ?
उत्तर-गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं एगंपुरिसं हणामि से णं एगं पुरिसं हणमाणे अणेगे जीवे हणइ, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-पुरिसं पि हणइ, जाव णोपुरिसे वि हणइ । - २ प्रश्न-पुरिसे णं भंते ! आसं हणमाणे किं आसं हणइ, णोआसे वि हणइ ?
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